Sunday, December 30, 2012

अब ’ठीक है’


कानपुर।। दिसम्बर 29, 2012: ठीक है न ? दामिनी मर गई अब बाँस ही नही है तो बांसुरी कितने दिनों तक बजती रहेगी? हम भारत देश में रहते है जो की बहुत महान है और देश को महान बनाती है वहाँ की जनता मतलब हम भी महान है और आप भी पर कभी सोचा की हम आज भी इतने महान क्यू है, हम महान है क्योकी हमने खुद में समय के हिसाब से दो क्षमताओं को बहुत ज्यादा विकसित कर लिया है। पहला- हम बहुत क्षमावान है, हम दूसरों को क्षमा करने में विश्वास रखते है और दूसरा- हम हर बुरी चीज / बात को जल्द से जल्द भुला देना चाहते है। आज सिंगापुर से भारत दामिनी का मृत शरीर नही बल्कि भारतीय लोकतंत्र की लाश वापस आई है। भारत का घनचक्कर गृह मंत्री शिन्दे कहता था कि दामिनी को बेहतर इलाज के लिए विदेश भेज रहे है और इसके लिए मेदांता के डा0 त्रेहान से सलाह मशविरा कर लिया है जबकी डा0 त्रेहान कहते है कि मुझसे सिर्फ एयर एंबुलेंस की मदद माँगी गई थी जो मैने उपलब्ध कराई। अब सवाल यह उठता है कि क्या देश के सभी डा0 बेकार हो गये है जो किसी को इलाज के लिए विदेश भेजना पड़ा वो भी इतनी गम्भीर हालत में। 1 दिन पहले टी.वी. पर दिल्ली के डा0 नेगी (चीफ सर्जन) ने कहा कि सिंगापूर में ऐसा कोई भी इलाज नही है जो भारत में न हो सके। 
यह तो एक पक्ष था जो हम सबने देखा लेकिन एक दूसरा पक्ष भी है जो बहुत खूबसूरती के साथ दबा दिया गया। शायद आपको याद होगा कि सिंगापुर जाने से पहले किसी को भी पीड़िता से मिलने की इज़ाजत नही थी अगर उसकी हालत इतनी ही नाजुक थी विदेश भेेजने की क्या जरूरत थी और आज जब मेनका गाँधी ने कहा कि दामिनी भारत में ही मर चुकी थी तो नई बहस शुरू हो गई है। हालाँकी ये बाद की बात है कि दामिनी का मृत्यु कहाँ हुई कब हुई। प्रश्न यह है कि न्याय कहाँ हुआ ? कब होगा? सवाल है उन लाखों लोगों  के प्रदर्शन का जो अब तक न्याय की गुहार लगा चुके है और परिणाम स्वरूप दिल्ली पुलिस द्वारा बेरहमी से मारे गये है। प्रदर्शन के कुछ दिन बाद भारत का प्रधानमंत्री सामने आकर कहता है कि मेरी भी तीन बेटियाँ है। अब यह बात समझ में नही आई कि प्रधानमंत्री यह बोलकर क्या साबित करना चाहते है? क्या वे राम सिंह जैसे दरिंदे को न्योता दे रहे है या प्रदर्शन कर रही ’मुर्ख’ जनता को बता रहे है कि मेरी बेटियाँ तो सुरक्षित है,उन्हे कुछ नही हुआ तो न्याय किस बात का? मनमोहन की इतनी नौटंकी के बाद भी जब प्रदर्शन शांत नही हुआ तो टी.वी पर आकर संदेश दिया और अंत में कहा ठीक है। प्रधानमंत्री साहब आपके ठीक है कि गाज पाँच कार्मचारियों पर गिरी है। आप ’ठीक है’ किससे कह रहे थे? और देश में क्या ठीक है, हर मोर्चे पर आपकी सरकार नाकाम साबित हो रही है। अगर सब ठीक ही होता तो यहाँ की जनता कोई पागल नही है जो हाड़ कापाती सर्दी में ठण्ड़ी पानी की बौछारों के बीच उसके लिए न्याय माँग रहे थे जो उनकी कोई नही लगती लेकिन सरकार बेशर्मो की तरह प्रदर्शन को कुचलने के उपाय सोच रही थी। 
लेग कहते है कि अब यू.पी.ए. -2 सरकार गिरेगी , पर मैं यह सोचता हूँ कि ये सरकार अब और कितना गिरेगी? पिछली बार जब अन्ना और रामदेव के आन्दोलन के आन्दोलन के वक्त जनता इकठ्ठा हुई तो सरकार ने सभी हदे पार कर दी आन्दोलन को कुचलने के लिए यहाँ तक की रातों रात रामदेेव के अनशन पर लाठियाँ भी चलवा दी। लेकिन जनता को बदले में क्या मिला? साल में 6 सिलेंण्डर। दामिनी कि लिए न्याय माँगा तो 10 रूपये डीजल के महगे होने की खबर मिल गई। इटली से आई एक औरत भी कमाल है गज़्ाब की राजनीति करती है। जब भी जनता ध्यान समाज की ओर जाता है तो वह एक एैसा झुनझुना बजा देती है जिससे सीधे जनता की जेब पर असर होता है और जनता भी परेशान हो जाती है।
कल सोनिया गाँधी ने कहा कि न्याय मिलेगा। मैं सोनिया से कहना चाहता हुँ कि किसको न्याय मिलेगा? क्या तुम्हारी नीच सरकार राजबाला की मौत के आरोपी दिल्ली पुलिस को सजा दिला पायेगी? क्या इस सरकार में हिम्मत है कि आधी रात में शांतीपूर्वक सो रहे आंदोलनकारियों पर लाठी बरसाने का आदेश देने वालो को सजा दे। हिम्मत है क्या कि लोकतंत्र में मन्दिर संसद में हमला करने वाले आतंकी को खुलेआम फाँसी दे सके।
अरे छोडिये जनबा जो अपने पति के हत्यारो की फाँसी माफ करने की अपील कर सकती है वो किसी को फाँसी की सजा क्या दिलाएगी। लेकिन एक महिला होने के नाते आपकी आँखों में जरा सा भी पानी है तो दामिनी के गुनाहगारों को फाँसी तो बाद की बात है पहले अपने उस सासंद को पार्टी से बाहर फेको जो टी.वी की लाइव बहस में स्मृति ईरानी को ठुमके लगाने वाली कहता है।
अभी भी मौका है जाग जाओं वरना जिस जनता के वोटो की मदद से आप 9 सालों से लागातार सत्ता पर काबिज होकर रोज उसी जनता के ’चमत्कार’ कर रहे है वह जनता आने वाले चुनावों में आनके साथ कहीं एैसा ’चमत्कार’ न कर दे कि आप कहींे के न रहे। बुनियादे हिलने लगी है, अब इमारत ज्यादा दिन नही टिकेगी।


सौरभ बाजपेई

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