Wednesday, February 13, 2013

देश के लिए हो युवाओं का प्रेम



आज सभी तरफ प्यार फैला हुआ है, हाथों में हाथ डाले हुए जोडे तो ऐसे दिख जाते है जैसे मानों हाथ थामने की कोई प्रतियोगिता सी चल रही हों। हम आज पश्चिमी सभ्यता से इतने ज्यादा प्रभावित हो चुके है कि हम भूलते जा रहे कि हम किस देश में रहते है और हम जिस आज़ादी से घूम रहे है वह हमें कैसे मिली और कितने लोगों को इस आज़ादी के लिए अपनी जान तक देनी पड़ी है। 14 फरवरी का दिन हर भारतवासी के लिए खास है लेकिन सिर्फ इसलिए नही कि इस दिन को प्यार का दिन मानते है, बल्कि इस दिन शहीद-ए-आज़म भागत सिंह को मौत की सजा सुनाई गई थी।
28 सितम्बर 1907 को सिख परिवार में जन्में भगत सिंह के मन में बचपन से ही देशप्रेम की भावनाए भरी हुई थी। मात्र 23 वर्ष की आयु में देश के हँसते-हँसते फाँसी पर चढ जाने वाले इस नौजवान देशभक्त को आज अपने ही देश के नौजवानो ने अपने दिल से लगभग हटा दिया है। जिस दिन हमारे देश के नौजवानो को भगत सिंह की तरह देश को आने वाले खतरों और गिरते हुए राजनीति के स्तर पर सुधार या क्रान्ति कि पहल करनी चाहिए उस दिन हमारे देश के नौजवान अपने प्रेमी या प्रेमिकाओं की हाथों में हाथ डालकर  देश की हालत पर ध्यान नही देते। 
वैलेंटाइन डे अर्थात प्यार का दिन, प्यार कोई जादू नही होता कि एक दिन प्यार का आया और हम खुश हो गये, न ही प्यार को मजबूत होने के लिए किसी एक दिन की जरूरत होती है। एैसा नही है कि हम ये सोच कर प्यार करना बंद कर दे बल्कि प्यार को परिभाषित करना चाहिए। जिंदगी अगर एक गाड़ी है तो प्यार उस गाड़ी का ईंधन है। हम प्यार के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते। हम अपने माता-पिता से प्यार करते है, भाई-बहन से प्यार करते है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य में हम प्यार को बहुत संकीर्ण रूप में लेते है। हमको प्यार अपनी प्रकृति से करना चाहिए, अपने आस-पास के पर्यावरण से प्यार करना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि इन सबके बाद भी हमारा पहला प्यार अपने देश के लिए होना चाहिए। नौजवान देश की ताकत  होते है और इस ताकत को अपने देश के निर्माण में निभानी चाहिए।
तो आज वैलेंटाइन डे को हम देशप्रेम के रूप में मानाए और सुनिश्चित करें कि हमें आज़ाद भारत का तोहफा देने वाले वीरों के इस तोहफे को बेकार न जाने दें।

(सौरभ बाजपेई)

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