हम भारत को सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के रूप मे जानते है पर क्या कभी हमने लोकतंत्र का मतलब सोचा है ? क्या कभी हमने जानने की कोशिश की, लोकतंत्र होता क्या है ? हमारे नेता हमेशा कहते रहते है कि भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और यहाँ कि सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है | आज कल कांग्रेस एक खास पार्टी को निशाना बना कर कहती है कि अमुख पार्टी संसद का सत्र नहीं चलने दे रही है वो पार्टी लोकतंत्र कि हत्यारी पार्टी है पर क्या कांग्रेस ने कभी खुद के गिरेवान
में झांक कर देखा है कि उसने भारतवाशियों को 65 सालो तक लोकतंत्र के नाम पर धोखा दिया है उसकी भरपाई कौन करेगा ? और पता नहीं ये झूठा लोकतंत्र हम कब तक बर्दास्त करेगे ?
पहले तो हम लोकतंत्र का सही मलतब जानते है, लोकतंत्र उस व्यवस्था को कहते है जिसमे किसी देश कि जनता अपना प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अपना मुख्यमंत्री स्वयं चुनता है या यु कहे कि जनता अपना नेता खुद चुनती है| भारत में भी हमारी सरकारे कहती है कि हमारे देश का प्रधानमंत्री आम जनता द्वारा चुना जाता है इस बात में कितनी सच्चाई है ये मई आपसे ही पुचना चाहता हु | आप लोगो मे से कितने लोगो ने मनमोहन सिंह को वोट किया था की वे हमारे प्रधानमंत्री बने या फिर आप लोगो मे से कितने लोग है जिन्होंने कभी भी अपने राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट किया है या फिर आपमें से कोई भी एक ऐसा व्यक्ति है जिसने अपने राज्य के मुख्यमंत्री को मुख्यमंत्री पद के लिए वोट किया हो ? पद पर चुन कर भेजना तो बहुत दूर की बात होती है भारत के लोकतंत्र मे आम जनता को इतना भी हक नहीं है कि वे अपने प्रतिनिधि के नाम का सुझाव दे सके क्या कभी कोई पार्टी चुनावो से पहले आम जनता के बिच जा कर पूछती है कि उसे कौन सा नेता पसंद है जिसे वो अपना प्रतिनिधित्व सौपना चाहते है ?
दरअसल भारत मे लोकतंत्र जैसी कोई व्यवस्था है ही नहीं हमारा नेता १२० करोड़ लोगो द्वारा नहीं बल्कि 250 -300 लोगो द्वारा चुना जाता है इसलिए हम उससे ये भी उम्मीद नहीं कर सकते की वो जनता के लिए काम करेगा या जनता के प्रति उसकी कोई जवाबदेही होगी| ये समय है भारत की जनता के जागने का हमे अपने अधिकारों और हकों की रक्षा के लाइए जागरूक होना चहिये| चुनावी मौसम आते ही बहुत सी पार्टियों के कार्यकर्त्ता आपके पास आयेगे और अगले 5 सालो तक लुटने के लिए फिर से अनुमति मागेगे लेकिन इस बार आप सभी को अपने विवेक से काम लेना होगा कांग्रेस सत्ता मई 55 सालोंसे अधिक रही है और उसने देश को कितना लुटा है और कितना विकास किया है ये आप लोग अच्छी तरह से जानते है सबसे ज्यादा समय तक सत्ता मे रहने के कारण कांग्रेस की नैतिक जिम्मेदारी बनती थी की वो संविधान मे संशोधन करके आम जनता को उसका हक दिला सकती थी लेकिन आज़ादी के बाद पहली बार एक वित्त मंत्री को राष्ट्रपति बना कर कांग्रेस ने तो संविधान की धज्जियाँ उड़ा दी हम ऐसी पार्टी से क्या उम्मीद करेगे जो सिर्फ अपने भले के लिए घोटालो पर घोटाले किये जा रही है और प्रधानमंत्री शांत रहने ही अपने कर्त्तव्य समझते है हम सभी देश वाशियों को शपथ लेनी चहिये की इस बार वो अपने हक की बात रखेगे जब भी कोई आपके पास वोट मांगने आएगा तो आप उससे अपनी बात कहेगे और हम मीडिया के माद्यम से भी आम जनता की आवाज को ऊपर तक उठाने का प्रयास करेगे| हम मीडिया से भी उम्मीद करते है की जो अपने को सबसे तेज और खबर हर कीमत पर दिखने का दावा करते है वो भी इस बात का मर्म समझेगे और जनता को उसके हक और अधिकार दिलाने के लिए साझा लड़ाई लगेगे |
जय हिंद
सौरभ बाजपाई
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